Chanakya Niti: योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है
HARYANATV24: जिस प्रकार गाड़ी में दो पहियों की जरूरत होती है और उसे एक पहिया नहीं खींच सकता, उसी प्रकार राज्य संचालन में एक अकेला राजा कुछ नहीं कर सकता। उसे प्रबुद्ध, योग्य, चतुर और राजनीतिक विशारदों की जरूरत पड़ती है। उनकी सहायता से ही वह राज्य का सुचारू रूप से संचालन कर पाता है।
‘सुख और दुख’ में समान रूप से सहायक होना चाहिए
सहाय: समदु: खसुख:।
भावार्थ : जो मंत्री राजा के सुख-दुख में समान रूप से सहायक होता है, वही सच्चा और हितैषी मंत्री होता है।
स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों पर दोबारा विचार करे
मानी प्रतिमानिनमात्मनि द्वितीयं मंत्रमुत्पादयेत्।
भावार्थ : एक स्वाभिमानी राजा के लिए आवश्यक है कि विपरीत स्थितियों में जो जटिल समस्याएं उठ खड़ी हों, उन पर शांति के साथ बार-बार विचार करें और उसकी अच्छाई-बुराई के दोनों पक्षों को समान रूप से परखकर कोई निर्णय करे। ऐसा राजा अपनी समस्याओं के निपटारे में कभी भी हतोत्साहित नहीं हो सकता।
शासक को स्वयं ‘योग्य’ बनकर ‘योग्य प्रशासकों’ की सहायता से शासन करना चाहिए
सम्पाद्यात्मानमन्विच्छेत् सहायवान्।
भावार्थ : जो राजा स्वयं को सर्वगुण सम्पन्न बनाने का प्रयत्न करता है वह बहुत शीघ्र योग्य सहायकों को एकत्र करके राज्य का संचालन करने में समर्थ हो जाता है। यदि वह ऐसा न करे तो चाटुकार कर्मचारी यथाशीघ्र ऐसे राजा को सत्ताच्युत बना देते हैं।