Chanakya Niti:यहां दान देने से कभी न हिचकिचाएं, जानिए क्या कहते हैं आचार्य चाणक्य
HARYANATV24: दान करने से व्यक्ति न केवल दूसरों का भला करता है बल्कि व्यक्ति के मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है। ऐसे में आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कुछ ऐसे दान बताए हैं, जिन्हें यदि व्यक्ति अपने जीवन में करता है, तो उसे कभी भी बदहाली का सामना नहीं करना पड़ता।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को धर्म-कर्म से जुड़े कार्य में खर्च करने से कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए और न ही कभी उसमें कंजूसी करनी चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अपने जीवन में मंदिर या किसी तीर्थ स्थल पर दान जरूर देना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के मन को संतुष्टि प्राप्त होती है और आने वाले समय में भी इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है।
आचार्य चाणक्य ने यह भी कहा है कि व्यक्ति को कभी भी बेसहारा या किसी जरूरतमंद आदमी को जरूरत की चीजें दान करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। वहीं किसी पीड़ित व्यक्ति का इलाज करवाने से व्यक्ति का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
विद्या का दान सबसे श्रेष्ठ दान में से एक माना गया है। आचार्य चाणक्य इस विषय में कहते हैं कि विघा दान, भू दान, वस्त्र दान, अन्न दान और गो दान सबसे सर्वोत्तम श्रेणी में आते हैं। विद्या एक ऐसा दान है, जो कभी खत्म नहीं होता। साथ ही इससे व्यक्ति का मानसिक विकास भी होता है, जिससे वह जीवन की किसी भी बाधा का सामना कर सकता है।