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इस दिन है देवउठनी एकादशी, जानिए किन कार्यों को करने से होगा भाग्योदय

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23 नवंबर को है देवउठनी एकादशी

HARYANATV24: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवउठनी एकादशी माना गया है। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस का विशेष महात्म्य बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सभी देवता अपनी निद्रा त्यागते हैं। इस दिन चातुर्मास का भी समापन होता है और शुभ कार्य आरंभ होते हैं। इस दिन को हिंदू पंचांग में अबूझ मुहूर्त या अबूझ सावा भी माना गया है।

कब है देवउठनी एकादशी

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 22 नवंबर को रात्रि 11.03 बजे आरंभ होगी। इसका समापन 23 नवंबर को रात्रि 9.01 बजे होगा। हिंदू धर्म में उदय तिथि की मान्यता होने के कारण देवउठनी एकादशी भी 23 नवंबर को ही मनाई जाएगी। व्रत का पारण अगले दिन 24 नवंबर को सुबह 6 से 8.13 बजे तक किया जा सकेगा।

कैसे करें देवउठनी एकादशी पर पूजा

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि तक शुभ मुहूर्त में भगवान की पूजा करनी चाहिए। साथ ही विष्णु मंदिर या कृष्ण मंदिर जाकर उनके दर्शन करने चाहिए।

आप भी सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गणपति की पूजा करें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें पुष्प, माला, नैवेद्य, फल, चंदन तिलक, तुलसी आदि अर्पित करें। इस दिन व्रत भी रखा जाता है।

देवउठनी एकादशी पर करें ये कार्य

शास्त्रों में एकादशी के लिए कुछ विशेष कार्य बताए गए हैं। इन्हें करने से अनंत गुना फल मिलता है। ये निम्न प्रकार हैं-

गरीबों, भिखारियों तथा रोगियों की सेवा करें। उन्हें यथाशक्ति भोजन, वस्त्र, दवा आदि दान करें।

गायों की सेवा करें तथा उन्हें हरा चारा और गुड़ खिलाएं।

अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जप करें या अन्य मंत्रों का भी अनुष्ठान किया जा सकता है।

तुलसी की पूजा करें एवं दूध और जल से सींचें। इससे अत्यधिक पुण्य मिलता है।

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