Geeta jayanti: श्री कृष्ण ने गीता में बताई ये खास बात, ये है भगवान को खुश करने का सबसे सरल तरीका
HARYANATV24: मार्गशीर्ष माह का आरम्भ हो चुका है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री कृष्ण को ये महीना बहुत ही प्यारा है। इसी माह में ही भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन गीता जयंती का यह पर्व मनाया जाता है।
उपदेश देते समय श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि संसार का व्यक्ति भगवान को खुश करने के लिए स्वर्ण, रत्न-आभूषण और न जानें कौन-कौन सी वस्तु उनको अर्पित करता है। लोग इस भ्रम में जीते हैं कि ऐसा करने से भगवान खुश हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार हम जो भी कर्म या पुण्य करते हैं आगे जाकर वही हमारा भाग्य बनता है। इसी वजह से लोग अपने भाग्य को संवारने के लिए भगवान को बहुत सी मंहगी चीजों को अर्पित करते हैं। इस बात की सच्चाई हम गीता से पता लगा सकते हैं।
श्री कृष्ण ने स्वयं गीता में अर्जुन को बताया है कि वो किन चीजों से प्रसन्न होते हैं। अगर आप भी भगवान को खुश करना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए बहुत ही खास साबित होने वाला है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि कौन सी चीजें हैं जिन्हें अर्पित करने से श्री कृष्ण भक्तों पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखते हैं।
भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति। तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः।।9.26।। (गीता श्लोक)
श्री कृष्ण कहते हैं, है अर्जुन यदि मेरे प्यारे भक्त अपने सच्चे मन से मुझे एक फूल की साधारण पंखुड़ी, साधारण सा फल और पत्ता भी अर्पित कर दें तो मैं बहुत ही प्रेम से उनके प्यार को स्वीकार करता हूं।
भगवान के घर कोई चीज छोटी नहीं होती। श्रद्धा भाव से अर्पित की गई ये चीजें मेरे लिए बहुत अनमोल और खास हैं। ऐसा करने से में अपने भक्तों को कभी भी खाली हाथ नहीं भेजता हूं।
इस श्लोक में श्री कृष्ण ज्ञान देते हुए अर्जुन से कहते हैं कि सोना-चांदी से प्रिय मुझे श्रद्धा है। सच्ची भक्ति भाव से यदि कोई व्यक्ति मुझे छोटी से छोटी चीज भी अर्पित करता है वो उसे बहुत ही प्रेम के साथ स्वीकार कर लेते हैं। हमेशा स्वर्ण, हीरे-जेवरात महंगी वस्तु अर्पित करना जरुरी नहीं होता।
कुटिल मन के साथ कोई भी वस्तु भगवान स्वीकार नहीं करते हैं। फिर चाहे आप जैसे मर्जी भगवान को खुश करने का प्रयास करें वो प्रसन्न नहीं होते। अगर आप चाहते हैं कि आपके प्रभु खुश होकर सारी मनोकामना को पूर्ण करें तो उनके मंदिर सच्चे मन और श्रद्धा के साथ जाएं।