जैनाचार्य लोकेशजी ने दिल्ली में आयोजित प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के उदघाटन सत्र को संबोधित किया
नई दिल्ली 18 नवंबर, 2024: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सूर्य फ़ाउंडेशन एवं अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संगठन INO द्वारा आयोजित प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश जी ने कहा कि विकसिर भारत 2047 के सपने को साकार करने में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा कि अहम भूमिका है |
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश नड़ड़ा, सूर्या फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष जय प्रकाश जी, केंद्रीय आयुष मंत्री श्री प्रतापराव जाधव का विर्चुयल संदेश प्रसारित हुआ |
उदघाटन सत्र को आईएनओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनंत बिरादर, जगतगुरु श्री श्री वचनानन्द स्वामी जी, सांसद श्री राजू बिष्ट एवं डॉ भोला सिंह ने संबोधित किया |
जैनाचार्य लोकेशजी ने दिल्ली में आयोजित प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के उदघाटन सत्र को संबोधित किया विकसित भारत के निर्माण में योग व प्रकृतिक चिकित्सा की अहम भूमिका – आचार्य लोकेश जी प्राकृतिक चिकित्सा से स्वास्थ्य लाभ के साथ रोजकार देने मे सहायक – केंद्रीय मंत्री मेघवाल
आचार्य श्री लोकेश जी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली भारत की अनमूल धरोहर है जिसे विश्व जनमानस अपना रहा है |
यह प्रणाली स्वस्थ शरीर एवं संतुलित वातावरण की रचना में अहम भूमिका निभा सकती है |
भारत की आध्यात्मिक धरोहर एवं ज्ञान को पुन: विकसित और उसका प्रचार प्रसार विश्व मे करने से भारत आर्थिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक रूप से विकसित होगा |
वर्तमान मे हो रही जीवनशैली एवं आहार से संबन्धित बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है | योग मनुष्य में नकारात्मक सोच एवं हिंसा जैसी सोच को खत्म कर सकारात्मक सोच उत्पन्न करता है जिससे विश्व शांति और सद्भावना की स्टापना संभव है |
केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली बहुत उपयोगी है |
प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है, यह व्यक्ति को स्वस्थ जीवनशैली जीने में सहायता करती है।
यह रोजगार उत्पन्न करने में भी सहायक सिद्ध हो रही है | सांसद श्री राजू बिष्ट एवं डॉ भोला सिंह ने कहा कि इतिहास में समृद्ध भारत का निर्माण ऋषियों के ज्ञान और उनकी शिक्षा पर आधारित समाज की संरचना से ही हुआ था
, पुन: विकसित भारत की संरचना प्राचीन ज्ञान के पुनरुत्थान एवं वर्तमान संतों के प्रयासों से ही संभव है |दीप प्रजवल्लन से प्रारम्भ हुये कार्यक्रम मे श्री नील ने स्वागत किया