शुक्रवार, 4 अगस्त को सावन अधिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है।
इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। माना जाता है कि चतुर्थी व्रत से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
शुक्रवार और चतुर्थी के योग में शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गणेश जी पूजा में दूर्वा खासतौर पर चढ़ानी चाहिए। दूर्वा गणेश जी को बहुत प्रिय है।
अगर किसी भक्त के पास पूजा सामग्री नहीं है, भक्त पूजा नहीं जानता है तो वह गणेश जी को सिर्फ दूर्वा चढ़ाकर भी पूजा कर सकता है।
दूर्वा के साथ ही मोदक, लड्डू और जनेऊ भी चढ़ा सके तो बहुत शुभ रहेगा।
माना जाता है कि देवी पार्वती गणेश जी के लिए लड्डू, मोदक खाने के लिए देती थीं।
तभी से गणेश जी को नैवेद्य के रूप में लड्डू-मोदक चढ़ाने की परंपरा है। इन चीजों के साथ ही मीठा पान भी पूजा में रख सकते हैं।
एक महीने में आती हैं दो चतुर्थियां
हिन्दी पंचांग के एक महीने में दो पक्ष होते हैं। पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष।
इन दिनों में पक्षों में आने वाली चतुर्थी तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत उपवास किया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
अधिक मास की गणेश चतुर्थी का महत्व और अधिक रहता है।
लोक परंपरा के अनुसार इस व्रत में दिनभर निराहार रहना होता है और शाम को चंद्र उदय के बाद पूजा-पाठ करके व्रत खोला जाता है।
सावन, अधिक मास, शुक्रवार और चतुर्थी का योग
4 अगस्त को सावन, अधिक मास, शुक्रवार और चतुर्थी का योग है।
इस योग में गणेश जी के साथ ही शिव जी, विष्णु-लक्ष्मी, शुक्र ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग का अभिषेक दूध से करें।
विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक केसर मिश्रित दूध से करें। शुक्र ग्रह के लिए दूध का दान करें।
व्रत के साथ ही इन चीजों का करें दान
चतुर्थी व्रत पर अनाज, धन, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें।
गोशाला में धन और गायों के लिए हरी घास का दान करें।