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आज महानवमी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मां सिद्धिदात्री पूरी होंगी प्रसन्न

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मां सिद्धिदात्री

HARYANATV24: धार्मिक मत है कि महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। अत साधक श्रद्धा भाव से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो महानवमी तिथि पर विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ये व्रत कथा जरूर पढ़ें-

व्रत कथा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिर काल में जब सृष्टि में कुछ भी विद्यमान नहीं था। चारों तरफ केवल अंधेरा ही अंधेरा था। उस समय एक प्रकाश पुंज ब्रह्मांड में प्रकट हुआ। इस प्रकाश पुंज का विस्तार तेजी से होने लगा। इसी पुंज से एक देवी प्रकट हुईं। इसके बाद प्रकाश पुंज का विस्तारीकरण रुक गया।

प्रकाश पुंज से प्रकट देवी, मां सिद्धिदात्री थीं। मां सिद्धिदात्री ने अपने तेज से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को प्रकट किया। तब मां सिद्धिदात्री ने तीनों देव को सृष्टि संचालन की आज्ञा दी। तब त्रिदेव ने मां सिद्धिदात्री की कठिन तपस्या की। कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने त्रिदेव को शक्ति और सिद्धि प्रदान की।

मां का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री के मुख मंडल पर तेजोमय आभा झलकती है। इस तेज से समस्त लोकों का कल्याण होता है। मां चार भुजा धारी हैं। मां कमल पर आसीन हैं और सिंह सवारी है। मां के एक हस्त में सुदर्शन चक्र, तो दूसरे में गदा है। तीसरे में शंख तो चौथे में कमल का पुष्प है। ममतामयी मां अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। साथ ही सभी प्रकार के सुख प्रदान करती हैं।

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