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क्‍या कम हो जाएगी आपकी EMI? ब्याज दर घटने के आसार, बस समय का इंतजार

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तो क्‍या कम हो जाएगी आपकी EMI? ब्याज दर घटने के आसार

HARYANATV24: महंगाई का खतरा काफी हद तक कम हो चुका है। ऐसे में बाजार में ब्याज दरों के फिर से घटने को लेकर चर्चा होने लगी है। एक दिन पहले वित्त मंत्रालय और आरबीआइ की तरफ से जारी मासिक रिपोर्टों में परोक्ष तौर पर यह संकेत दिया है कि निकट भविष्य में महंगाई की दर में और कमी होने की संभावना की वजह से ब्याज दरों में भी नरमी हो सकती है।

अभी कुछ दिन पहले ही केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी अगले कुछ महीनों में ब्याज दरों के कम होने की संभावना जताई थी। आरबीआइ ने हाल ही में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए बैंक लोन की ब्याज दरों को प्रभावित करने वाली वैधानिक दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआइ हर दो महीने पर मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है और पिछली पांच बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि, “जनवरी, 2024 में महंगाई की स्थिति को देखा जाए तो सब्जियों, दालों और समग्र तौर पर खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों में क्रमश: 4.2 फीसद, 0.9 फीसद और 0.7 फीसद की कमी हुई है। आने वाले महीनों में महंगाई की दर के और ज्यादा कम होने की संभावना है।''

आरबीआइ ने भी महंगाई की दर (वित्त वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही) को लेकर अपने अनुमान को 5.2 फीसद से घटा कर 5 फीसद कर दिया है। प्रमुख महंगाई की दर और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी होने के आसार के बीच महंगाई की दर के नीचे आने जाने की संभावना मजबूत है।'' इसी तरह से आरबीआइ की मासिक रिपोर्ट कहती है कि पॉलिसी रेट को इस तरह से रखा जाना चाहिए कि महंगाई पर भी काबू रहे और विकास के लिए आवश्यक फंड की कमी भी ना हो।

आरबीआई की रिपोर्ट में महंगाई और घटने के संकेत

सनद रहे कि महंगाई को काबू में करने के लिए आरबीआइ ब्याज दरों को बढ़ाता है जिससे कर्ज महंगा हो जाता है और आम जनता को होम लोन, ऑटो लोन लेना या उद्योग जगत को कारोबार विस्तार के लिए बैंकिंग कर्ज लेना महंगा पड़ता है।

आरबीआइ ने इसी रिपोर्ट मे ब्याज दरों की स्थिति को लेकर संकेत देते हुए यह भी कहा है कि, मोटे तौर पर यह लगता है कि महंगाई की स्थिति आने वाले दिनों में और सुधरेगी। प्रमुख उत्पादों में महंगाई की दर अक्टूबर, 2019 के बाद सबसे नीचले स्तर पर है। इससे कारपोरेट सेक्टर को अपना विस्तार करने में मदद मिलेगी ताकि वह बढ़ती हुई मांग के हिसाब से तैयारी कर सकें।

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