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आप भी गाय के गोबर से बने पेंट के फायदे सुन चौक जाएंगे, जानिए कम दाम में कैसे करता है टेम्‍परेचर कंट्रोल

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गाय के गोबर से बने पेंट के फायदे सुन चौक जाएंगे आप

HARYANATV24: गांव के घरों की दीवारों और फर्श पर गोबर की लिपाई की पुरानी परंपरा ने धनबाद के इंजीनियर अभिषेक सिंह की जिंदगी ही बदल दी। मनईटांड़ के अभिषेक ने गोबर से पेंट बनाना शुरू किया है। देसी गाय के गोबर से बना यह पेंट गर्मियों में घर के अंदर के तापमान को भी दो डिग्री कम करता है।

गाय के गोवर से समृद्धि की राह

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी धनबाद के अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र में भी इस प्राकृतिक पेंट को जगह मिली है। अभिषेक हर माह पांच हजार लीटर पेंट रांची, बोकारो और धनबाद के बाजारों में बिक्री के लिए भेज रहे हैं।

उन्होंने गोबर से समृद्धि की राह निकाली है। इसने कई सारे लोगों को काम भी दिया है। बुलंदशहर से 2009 में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले अभिषेक को मल्टीनेशनल कंपनी में काम का अवसर मिला। पर, वहां मन नहीं रमा तो उन्‍होंने खुद का स्टार्टअप शुरू करने की ठानी।

इस पेंट के बस हैं फायदे ही फायदे

यह पर्यावरण की सुरक्षा के साथ, जीवाणुरोधक, एंटीफंगल, भारी धातुओं से मुक्त, गंधहीन, तापरोधक, विषरहित, टिकाऊ व आम पेंट से सस्ता है। यह प्रयोग के चार घंटे बाद सूख जाता है, पांच साल तक ऐसे ही दीवारों पर बना रहता है। गंदा होने पर दीवार को धो भी सकते हैं।

ऐसे तैयार होता है प्राकृतिक पेंट

गाय के गोबर को पहले प्रीमिक्स मशीन में पानी के साथ मिलाकर तीन से चार घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। पूरी तरह घुलने के बाद गोबर की स्लरी को ट्रिपल डिस्क रिफ्रेशर (टीडीआर) में पिसने के लिए छोड़ देते हैं।

फिर 90 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर आधे घंटे के लिए गर्म कर सात घंटे तक ठंडा करते हैं। इसे कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोज कहते हैं।

20 प्रतिशत इस सीएमसी में चूना, टेलकम पाउडर, विभिन्न प्लांट से निकलने वाले रेजिन और टाइटेनियम डाइऑक्साइड को मिलाते हैं।

इसमें रेजिन की जगह अलसी का तेल मिलाया जाता है ताकि प्राकृतिक गुणवत्ता बनी रहे। बस इससे डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट बना लिया जाता है।

इस पेंट के हैं कई फायदे

अभिषेक ने बताया कि अंदर की दीवारों के लिए इमल्शन 205 व बाहरी दीवारों के लिए 320 रुपये प्रति लीटर में दे रहे हैं। प्रीमियम डिस्टेंपर 88 रुपये प्रति किलो व इकोनामी डिस्टेंपर 56.75 रुपये प्रति किलो दे रहे। बाजार में इनकी कीमत इससे दोगुनी है।  वाष्पशील कार्बनिक यौगिक का प्रयोग न होने से इसके प्रयोग से आंखों में जलन भी नहीं होती।

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