चंडीगढ़ पुलिस नए कानूनी बदलावों को करेगी लागू, अफसरों से लेकर कांस्टेबल का होगा रिफ्रेशर कोर्स
HARYANATV24: संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों को कानूनी रूप देने के बाद इन्हें सबसे पहले लागू करने और अभ्यास में लाने की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पर है। चंडीगढ़ इन तीनों नए कानूनों को लागू करने में अग्रणी होगा और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों व राज्यों के लिए एक आदर्श स्थापित हो सकता है।
यह बदलाव हुआ है
भारतीय दंड संहिता में जहां 511 धाराएं थी वहीं भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
इसी तरह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले 531 धाराएं हैं। वहीं 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उप-धाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है। नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं।
चंडीगढ़ में नए कानूनी प्रक्रिया को लेकर कांस्टेबल से लेकर बड़े रैंक के अधिकारियों के लिए रिफ्रेशर कोर्स रखे जाएंगे। वहीं थानों में भी वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा स्थापित करने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है। - राज कुमार सिंह, आईजीपी, चंडीगढ़ पुलिस।
नए कानूनी बदलावों में यह खास
- दुष्कर्म के मामलों में दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। 18 साल से कम उम्र की नाबालिग से गैंगरेप के मामले में आजीवन कारावास से फांसी तक का प्रावधान है।
- शादी के नाम पर गुमराह करने या पहचान छिपाकर शादी करने पर 10 साल तक की सजा होगी। धोखाधड़ी या झूठ बोलकर किसी महिला से शादी करने या फिर शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने पर सजा का प्रावधान किया गया है।
- मॉब लिंचिंग के दोषी को फांसी की सजा तक देने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत पांच या उससे ज्यादा लोग जाति, नस्ल या भाषा के आधार पर हत्या करते हैं तो आजीवन कारावास से लेकर फांसी की सजा तक मिल सकती है।
- भगोड़े अपराधियों पर सख्ती की जाएगी। उनकी गैरमौजूदगी में कोर्ट में ट्रायल भी हो सकेगा। अब फरार घोषित अपराधी के बगैर भी मुकदमा चल सकेगा। फरार आरोपी पर आरोप तय होने के तीन महीने बाद ट्रायल शुरू हो जाएगा।
- देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे। इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी। अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थी। 15 दिन के भीतर जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी।
- गवाहों की सुरक्षा का भी ख्याल रखा जाएगा. बयान दर्ज करने और साक्ष्य एकत्र करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड की अनुमति दी गई है।
- जो महिला शिकायतकर्ता पुलिस स्टेशन नहीं जाना चाहतीं, उनके लिए इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर की सुविधा शुरू की गई है और एक पुलिस अधिकारी 24 घंटे के भीतर घर जाएगा।
- पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी। परिस्थिति के आधार पर अदालत 90 दिन का समय और दे सकती है। अदालत को 60 दिन के भीतर आरोपी पर आरोप तय करने होंगे। सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा।
- सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिससे फोरेंसिक जांच अनिवार्य हो जाएगी।