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Haryana: क्या अब लिव-इन में रहने वाले जोड़े को भी दी जाएगी सुरक्षा! जानिए क्‍या है पूरा मामला

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हाईकोर्ट की टिप्पणी

HARYANATV24: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लिव-इन में रहने वाले जोड़े जो कानूनी तौर पर विवाह योग्य उम्र नहीं रखते उनको सुरक्षा से इंकार नहीं किया जा सकता।

ऐसे मामले में हाई कोर्ट रिश्ते की वैधता पर टिप्पणी नहीं करेगा लेकिन अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को दिए गए जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार है।

प्रेमी जोड़े ने की थी हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग

हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी चंडीगढ़ के एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने चंडीगढ़ के एसएसपी को आदेश दिया कि वह इस जोड़े की सुरक्षा की मांग पर विचार कर उचित निर्णय ले। इस मामले में लड़की 16 व लड़का 19 साल का है।

घर वालों से जान को खतरा बता कर दोनों ने हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि वह रिश्ते की वैधता पर टिप्पणी नहीं करेगा लेकिन, अदालतों को ऐसे नाबालिग के संरक्षक के रूप में आगे आना चाहिए और ऐसे नाबालिग के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

स्‍वतंत्रता के लिए उठाने चाहिए आवश्‍यक कदम

हाई कोर्ट के जस्टिस विकास बहल एक मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि पोक्सो अधिनियम, जो नाबालिग के साथ यौन संबंधों को दंडित करता है, संविधान के अनुच्छेद 21 के विपरीत नहीं चलता है। अदालतों को ऐसे नाबालिग के संरक्षक के रूप में आगे आना चाहिए और ऐसे नाबालिग के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

आदेश की कॉपी भेजने के आदेश

हाई कोर्ट ने नाबालिग के सर्वोत्तम हित के लिए माता-पिता के अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए चंडीगढ़ के एसएसपी के साथ-साथ बाल कल्याण समिति चंडीगढ़ को इस आदेश की कॉपी भेजने के भी आदेश दिए।

हाई कोर्ट द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार जब कोई नाबालिग पुलिस सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाता है, तो बाल कल्याण समिति नाबालिग के भोजन और आवास के संबंध में उचित निर्णय लेगी और संबंधित सभी मुद्दों पर जांच भी करेगी। कोर्ट ने जोड़े को एसएसपी के पास सुरक्षा की मांग को लेकर पेश होने का भी आदेश दिया।

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