'अस्थायी कर्मियों के हित में हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट ने कही ये बात, अगर दस साल काम किया तो सरकार का कर्तव्य है...
HARYANATV24: हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर एक बार राज्य सरकार ने अस्थायी कर्मियों को उस पद पर सेवा जारी रखने की अनुमति दे दी है, जिस पर उन्हें शुरू में नियुक्त किया गया था, तो यह नहीं कहा जा सकता कि संबंधित पद के लिए कोई नियमित कार्य नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि जब कोई कर्मचारी एक दशक से अधिक समय तक काम कर चुका है और उक्त पद का कार्य मौजूद है, तो राज्य का यह कर्तव्य है कि वह एक पद सृजित करे, ताकि उक्त कर्मचारी को सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सके।
हाई कोर्ट ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य को अपने कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए, न कि ऐसा निर्णय लें, जिससे कर्मचारी के नियमितीकरण के दावे खारिज हों। हाई कोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने यमुनानगर निवासी ओम प्रकाश द्वारा दायर व दर्जन भर अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।
याचिकाकर्ताओं का दावा- दो दशकों से कर रहे सेवा
कोर्ट ने सरकार को उन याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को नियमित करने का भी आदेश दिया है जो अस्थायी आधार पर विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे थे, लेकिन राज्य की नीतियों के अनुसार नियमितीकरण के हकदार थे। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वे पिछले लगभग दो दशकों से राज्य की सेवा में हैं।
लेकिन उनकी सेवाओं को राज्य द्वारा जारी की गई नियमितीकरण नीति के तहत नियमित नहीं किया गया है, जबकि उनका दावा उसी के अंतर्गत आता है या उनकी सेवाओं को उस तिथि से नियमित किया जाना चाहिए जो उनके कनिष्ठों की सेवाओं को नियमित किए जाने की तिथि के बाद की हैं।
राज्य सरकार ने दिया ये तर्क
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, वह सभी हरियाणा सरकार द्वारा एक अक्टूबर 2003 को जारी की गई नियमितीकरण नीति के तहत अपनी सेवाओं के नियमितीकरण के हकदार थे। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं को नियमित स्वीकृत पद के विरुद्ध नियुक्त नहीं किया गया था।
वे अभी तक किसी भी नियमित स्वीकृत पद के विरुद्ध काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए उनकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए याचिकाकर्ताओं का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता है।