PGI चंडीगढ़ का कमाल: अब बिना कीमो होगा कैंसर का इलाज, विश्व का पहला देश बना भारत
HARYANATV24: पीजीआई हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख व शोध के सीनियर ऑथर प्रो. पंकज मल्होत्रा ने बताया कि इस मर्ज में मरीज की स्थिति तेजी से बिगड़ती है। अगर मरीज ने दो हफ्ते तक खुद को संभाल लिया तो उस पर इलाज का सकारात्मक प्रभाव तेजी से सामने आने लगता है लेकिन उन दो हफ्तों तक सर्वाइव करना बेहद कठिन होता है।
विश्व में अब तक कैंसर के मरीजों को इलाज कीमो से ही हो रहा है लेकिन पीजीआई ने पहली बार कीमो के बजाय मरीजों दवाओं की खुराक दी। इसमें विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड शामिल किया।
इस शोध के फर्स्ट ऑथर डॉ. चरनप्रीत सिंह ने बताया कि 15 वर्षों तक संस्थान में चले इस शोध में 250 मरीजों को शामिल किया गया। उन मरीजों को कीमो की जगह विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया गया। गंभीर मरीजों को दो साल तक और कम गंभीर मरीजों को चार महीने तक दवा दी गई और लगातार फॉलोअप के साथ टेस्ट किए गए।
सभी 250 मरीजों की जब कीमो वाले मरीजों की स्थिति से तुलना की गई तो परिणाम काफी बेहतर मिला। कीमो की तुलना में शोध में शामिल मरीजों पर इलाज की सफलता दर 90 प्रतिशत रही। जो मरीज दो हफ्ते के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाए उनका ही परिणाम नकारात्मक रहा। 90 प्रतिशत मरीज पूरी तरह ठीक हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।
कीमो जहां कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करता है, वहीं इसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों पर भी पड़ता है जबकि विटामिन ए और मेटल की डोज कैंसर सेल बनाने की स्थिति को ही पूरी तरह समाप्त कर देता है। यह कैंसर उत्पन्न करने वाले ट्रास लोकेशन पर वार करता है।
जिससे अन्य किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता और संक्रमण का प्रारंभ ही रूक जाता है। प्रो. पंकज ने बताया कि यह कैंसर क्रोमोसोम के आपस में स्थान बदलने से कुछ केमिकल के ओवर एक्टिव होने से शुरू होता है। विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड क्रोमोसोम के बदलाव से बनने वाले केमिकल को ही रोक देते हैं।