प्राइवेट नौकरी में क्या हरियाणावासियों को मिलेगा आरक्षण? हाईकोर्ट ने दूसरी बार फैसला रखा सुरक्षित
HARYANATV24: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आखिरकार निजी क्षेत्र में राज्य के निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले हरियाणा के कानून के बहुप्रतीक्षित मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाले राज्य के कई औद्योगिक निकायों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दूसरी बार हाईकोर्ट ने आरक्षण का फैसला रखा सुरक्षित
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दूसरी बार है कि जब हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले 17 मार्च, 2022 को हाई कोर्ट ने उस कानून का विरोध और बचाव करने वाले सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालाकि, इस साल अप्रैल में, हाईकोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई शुरू की थी और अब लगभग छह महीने तक इस मुद्दे पर फिर से सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।
जगबीर मलिक ने हरियाणा के लोगों का हक बताया
भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 को अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रदर्शित किया है। इस पूरे मामले सरकार की तरफ से एडीशनल एडवोकेट जनरल जगबीर मलिक पेश हुए व इस एक्ट को हरियाणा के लोगो को उनका हक दिलानें वाले कानून बताया।
कारखानों/उद्योगों और संस्थान में आरक्षण की उठी थी मांग
6 नवंबर, 2021 को राज्य के श्रम विभाग द्वारा इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी। कानून में परविधान है कि नए कारखानों/उद्योगों या पहले से स्थापित उद्योगों/संस्थानों में 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के मूल निवासियों को दी जाएंगी।
कहां लागू होगा ये कानून
यह केवल हरियाणा राज्य में स्थित विभिन्न निजी तौर पर कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, सीमित देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी फर्म आदि में 10 या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले 30,000 रुपये प्रति माह से कम वेतन वाली नौकरियों पर लागू है।
हालांकि, 3 फरवरी, 2022 को हाई कोर्ट ने राज्य में कानून के लागू करने पर पर रोक लगा दी। इसके बाद हरियाणा सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 17 फरवरी, 2022 को हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और हाई कोर्ट को इस मुद्दे पर चार सप्ताह में फैसला करने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से क्या कहा?
शीर्ष अदालत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक क़ानून की संवैधानिक वैधता पर कोई निर्णय हाईकोर्ट द्वारा नहीं लिया जाता है, तब तक राज्य सरकार इसके गैर-कार्यान्वयन के लिए किसी भी उद्योग के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकती है।
16 मार्च 2022 तक कोर्ट को लेना था फैसला
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले पर 16 मार्च 2022 तक हाईकोर्ट को फैसला लेना था।मामले में फरीदाबाद व गुरुग्राम के औद्योगिक संगठनों ने याचिका दायर कर हरियाणा में 15 जनवरी 2022 से लागू रोजगार गारंटी कानून पर रोक लगाने की मांग कर रखी है। रोजगार गारंटी कानून के तहत प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों, खासकर उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान है।