Haryana: अंडमान-निकोबार पहुंची अंबाला पुलिस, 13 साल से फरार कैदी पकड़ा, जाने क्या है मामला
HARYANATV24: पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में 13 साल से भगौड़े सजायाफ्ता कैदी को अंबाला पुलिस ने अंडमान-निकोबार से काबू कर लिया। आरोपी पति की पहचान कैम्पबेल निवासी एपी सेलबम के रूप में हुई है। अंबाला से अंडमान-निकोबार के करीब 3500 किलोमीटर का सफर अंबाला कैंट पड़ाव थाना पुलिस के एएसआई जसपाल व हेड कॉन्स्टेबल सरबजोत ने पहले हवाई और फिर समुद्री जहाज से पूरा किया।
23 अगस्त को कैम्पबेल के गांव विजयनगर से इलाका पुलिस की मदद लेकर आरोपी को काबू किया। 27 अगस्त की देर शाम पुलिस अंबाला पहुंचे। छावनी नागरिक अस्पताल में मेडिकल करवाया। आरोपी को पुलिस को कोर्ट में किया जाएगा। अंबाला में पहली बार ऐसा हुआ है कि गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने इतना लंबा सफर तय कर आरोपी को दबोचा।
आरोपी की पत्नी ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट में आरोपी पति को 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सेशन कोर्ट से 2011 में जमानत मिलने के बाद आरोपी फरार हो गया था। पड़ाव थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सतीश ने बताया कि अंडमान-निकोबार में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई बाहरी पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी।
16 अगस्त को दोनों मुलाजिम थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सतीश के निर्देशानुसार दिल्ली से करीब पांच घंटे की हवाई करते हुए पोर्ट बलेयर पहुंचे। वहां से कैम्पबेल का सफर समुद्री जहाज से था। 700 किलोमीटर सफर करने के बाद वह कैम्पबेल पहुंचे। पहले स्थानीय पुलिस के संज्ञान में मामला डाला और उनकी मदद से आरोपी को गांव विजय नगर से काबू किया। आरोपी वहां एक महिला के साथ रहता था और शराब बेचने के अलावा नारियल की खेती करता था।
शराब के नशे में करता था मारपीट
छावनी के लालकुर्ती में आरोपी की पत्नी ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मामले की जांच में सामने आया था कि आरोपी शराब का आदी था और नशे में पत्नी से मारपीट करता था। आखिर में पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने 23 अगस्त 2007 को मकान मालिक मुकेश की शिकायत पर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपी को काबू कर लिया था।
आरोपी एपी सेलबम की शादी पत्नी कृष्णा गौरी अंडमान-निकोबार में हुई थी। वह सेना की एमएच यूनिट में तैनात था। 2006 में वह अंबाला कैंट एमएच में कॉन्स्टेबल कुल के पद पर कार्यरत था। शादी के बाद दो बच्चे भी हैं। जो कैम्पबेल में ही रहते हैं। भगौड़ों को पकड़ने के लिए चले अभियान के तहत 13 साल बाद आरोपी की फाइल पुन: खुली थी।