Haryana: इस गांव की स्ट्रॉबेरी का विदेशी भी चख रहे स्वाद, 300 से ज्यादा किसान कर रहे खेती
HARYANATV24: हिसार के गांव स्याहड़वा की स्ट्राबेरी का स्वाद विदेशों में चखा जा रहा है। गांव के 300 से ज्यादा परिवार स्ट्रॉबेरी की खेती कर अपना परिवार चला रहे है। आसपास के तीन गांव चनाना, हरिता, मिरान के किसान भी स्याहड़वा से प्रेरित होकर 600 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।
स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के मामले में स्याहड़वा गांव की देश ही नहीं विदेशों में अपनी अलग पहचान है। यहां पर उगी स्ट्रॉबेरी यूरोप के विभिन्न देशों में सप्लाई की जाती है। यह गांव प्रदेश में सबसे अधिक स्ट्रॉबेरी फल के उत्पादन वाला गांव है।
गांव में स्ट्रॉबेरी की शुरूआत 1996 में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. अनिल गोदारा ने की थी। डॉ. अनिल गोदारा ने बताया कि वह विश्वविद्यालय के बागवानी विभाग में प्रोफेसर था। उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया। हालांकि इसे लेकर पहले उन्होंने पूरा अध्ययन किया। उनकी स्याहड़वा गांव में जमीन है।
यहां उन्होंने 1996 में स्ट्रॉबेरी की फसल उगाई। यहां पर इस फसल के उचित वातारण, मीठा पानी व रेतीली मिट्टी है। यहां उन्होंने 6-7 साल स्ट्रॉबेरी की खेती की। इस फसल को देखने के लिए अलग-अलग राज्य और शहर से लोग आने लगे। सरकार ने किसानों के रुझान को देखते हुए नई स्कीमें देनी शुरू कर दी।
डॉ. अनिल गोदारा ने बताया नवंबर में स्ट्रॉबेरी का रेट सबसे ज्यादा होते हैं। एक हजार का एक डिब्बा बिकता है, जिसमें 2 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी होती है। अगस्त व सितंबर में स्ट्रॉबेरी उगाई जाती है, जो नवंबर तक पककर तैयार हो जाती है।
एक एकड़ में फसल पर 4 लाख का खर्च आता है। फसल अच्छी है तो एक एकड़ में 70 क्विटंल तक की पैदावर होती है। प्रति एकड़ किसान 4 से 5 लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं।