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Haryana: सरकार ने संपत्तियों के स्वयं सत्यापन के लिए 29 फरवरी तक दिया अल्टीमेटम, बाद में कार्रवाई

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29 फरवरी तक करवाएं संपत्तियों के स्वयं सत्यापन,नहीं तो होगी कार्रवाई

HARYANATV24: हरियाणा में शहरी क्षेत्र की संपत्तियों के स्वयं सत्यापन पर अब सरकार ने सख्ती बरतने का निर्णय लिया है ताकि सभी संपत्तियों के असल मालिकों की पहचान के साथ सभी संपत्तियों का सटीक डाटा सरकार के पास रिकॉर्ड में रह सके। सरकार ने निगम अधिकारियों को शहरवासियों के साथ सरकारी इमारतों का भी स्वयं सत्यापन करवाने के आदेश दिए हैं।

इसके तहत निगम अपनी इमारतों, कार्यालय, रिहायशी भवनों का भी सत्यापन करेगा। इसके अलावा क्षेत्र में जिस विभाग की सरकारी इमारत होंगी उनके मुखियाओं को उनका रिकॉर्ड 25 जनवरी तक अपडेट करवाना होगा। निगम अधिकारियों ने इस संबंध में सरकारी संपत्तियों के मुखियाओं को नोटिस तक भिजवा दिए हैं।

स्वयं सत्यापन के बाद निगम सरकारी विभागों से भी उनकी संपत्तियों का कर वसूलेगा। इसके अलावा शहर में काफी सारी संपत्तियां ऐसी हैं जिनका रिकॉर्ड निगम के पास नहीं है। निगम अधिकारियों को अब इनके मालिकों के नाम, पता ओर मोबाइल नंबर भी पोर्टल पर अपडेट करवाने होंगे।

इसके लिए सरकार ने निगम अधिकारियों को 29 फरवरी तक का समय दिया है। इस काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की जा सकती है।

शहरी स्थानीय निकाय ने पहले फेज में नियमित 211 कॉलोनियों का डाटा एनडीसी और जीआईएस पोर्टल पर डाल दिया है। दूसरे चरण की 193 नियमित हुईं कॉलोनियों में कुछ निकायों ने विकास शुल्क को कॉलोनियों के साथ अपडेट नहीं किया है।

इनमें अंसध, इंद्री, एलानाबाद और गुरुग्राम शामिल हैं। सरकार ने दो दिन में इन निकायों को संपत्तियों के विकास शुल्क को अपडेट करने के निर्देश दिए हैं।

शहरी स्थानीय निकाय ने नियमित कॉलोनियों, एचएसवीपी, एचएसआईडीसी, हाउसिंग बोर्ड, नगर सुधार मंडल, सरकारी कॉलोनी, लाइसेंसशुदा मंजूर कॉलोनी समेत लाल डोर, पुरानी देह आबादी का एरिया का डाटा पोर्टल पर अपलोड किया गया है।

इनकी बाउंड्री के बाहर की अवैध कॉलोनियों और संपत्तियों पर अधिकारियों को अब अवैध का टैग लगाना होगा। ताकि अनियमित कॉलोनियों की अलग से पोर्टल पर मैपिंग की जा सके।

खेतों की जमीन पर शहरों में सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनियों विकसित हो जाती हैं। इनको अलग करने के लिए सरकार ने खेतीबाड़ी की एक अलग श्रेणी तक तैयार कर दी है। अब निगम अधिकारियों को ऐसी जमीन को खेतीबाड़ी की जमीन के लिए ही पोर्टल पर टैग करना होगा। ताकि इनकी पहचान अलग रह सके।

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