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Haryana: अभी HCS भर्ती उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल कॉपी के लिए करना होगा अभी और इंतजार, कोर्ट में 22 साल से लंबित मामला

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HCS भर्ती उत्तर पुस्तिकाओं की

HARYANATV24: हरियाणा में 2002 में चौटाला शासन काल में 65 एचसीएस अधिकारियों की नियुक्तियों का ओरिजनल रिकॉर्ड मांगने की हरियाणा सरकार की मांग पर हाई कोर्ट ने सुनवाई दो मई तक स्थगित कर दी है। इन अधिकारियों की उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल कॉपी के लिए विजिलेंस को अब इंतजार करना होगा।

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि चार जुलाई को चालान पेश किया जा चुका है और एफएसएल रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए ओरिजिनल कॉपी जरूरी है। जो हाई कोर्ट के पास रिकॉर्ड में रखी गई है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याची पक्ष को सलाह दी कि वह प्रस्तुत किए गए चालान का अध्ययन करने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष आवेदन करे।

इसी के साथ कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। यह मामला लगभग 22 साल से हाई कोर्ट में विचाराधीन है। वर्ष 2002 में जब एचसीएस पदों के लिए नियुक्ति की गई थी। तब इन नियुक्तियों को कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी।

इस विवाद के हाई कोर्ट में आने के बाद इन उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल कापी हाई कोर्ट में मंगवा ली गई थी। 2009 में विजिलेंस के अनुरोध पर उनकी फोटो कापी विजिलेंस को उपलब्ध करवाई गई थी। विजिलेंस ने एक अर्जी दायर कर 35 एचसीएस अधिकारियों की 54 उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल कॉपी मांगी थी।

अर्जी में विजिलेंस ने हाई कोर्ट को विश्वास दिलाया था कि लैब में इनकी जांच के बाद इसे हाई कोर्ट को वापस कर कर दिया जाएगा। इस मामले में विजिलेंस ने हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर कर कहा था कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए ओरिजिनल उत्तर पुस्तिकाओं की जरूरत है। उत्तर पुस्तिकाओं में कांट-छांट, जोड़ना-घटाना, स्याही आदि की जांच फारेंसिक लैब में होगी तो जांच को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा।

आरोप लगाए गए थे कि तत्कालीन चौटाला सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर अपने चहेतों को नियुक्ति दे दी, जिनके परीक्षा में कम अंक थे। उनके इंटरव्यू में अधिक अंक देकर उन्हें नियुक्त कर दिया गया। इस मामले में की गई जांच में भी धांधली सामने आई थी।

वर्ष 2013 में हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन इसी बीच वह सुप्रीम कोर्ट चले गए और यह केस फिर सुनवाई पर आ गया। तब से लेकर अब तक हाई कोर्ट की विभिन्न खंडपीठों में इस केस की सुनवाई चलती रही।

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