Haryana: धूप न निकलने के कारण सरसों की फसल में हो रही ये बीमारी, कृषि विशेषज्ञों ने जारी की एडवाइजरी
HARYANATV24: पिछले एक महीने से जिले में लगातार ठंड पड़ रही है। इसका असर अब फसलों पर देखने को मिल रहा है। सबसे अधिक असर सरसों की फसल पर देखने को मिल रहा है। इस समय अनेक जगह सरसों की फसल में सफेद रतुआ की बीमारी देखी जा सकती है।
सफेद रतुआ सरसों में फंगस के कारण होने वाली बीमारी है। इसके लक्षण आरंभ में पत्तों पर नजर आते हैं। पत्तों के निचले भाग में सफेद धब्बे से दिखाई देते हैं और सफेद पाउडर सा बन जाता है।
इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर समय रहते उपाय कर नुकसान से बच सकते हैं। लगातार धुंध और कोहरे के मौसम का बने रहना और पौधों को सूर्य की समुचित रोशनी का न मिलना प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बाधित करता है, जिससे फफूंद जनित बीमारियों के आक्रमण की संभावनाएं रहती हैं। इसमें पौधों के पत्तियों और तनों पर सफेद या पीले क्रीम रंग के कील से नजर आते हैं जो कि पत्तों से शुरू होकर तने से फूलों तक फैल जाते हैं।
परिणामस्वरूप तने, फूल और फलियां बेढंग के आकार के और टेढ़े मेढे हो जाते हैं। जिसका फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और पैदावार घट जाती है। यह ज्यादातर पछेती बीजी गई फसलों में होता है तथा अगेती बिजाई गई फसलों में इस बीमारी का असर बहुत कम देखने को मिलता है।
कृषि विकास अधिकारी डॉ. अंकित ढिल्लो ने बताया कि सरसों में सफेद रतुआ के नियंत्रण के लिए 600 ग्राम मैनकोजेब (डाइथेन या एंडोफिल एम-45) को 250-300 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर 3-4 बार छिड़काव कर दे।
कृषि मौसम विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही करें। इसके साथ-साथ किसान छिड़काव करने से पहले ये सुनिश्चित अवश्य करें की जिस स्प्रेयर से छिड़काव करना चाहते हैं वो किसी खरपतवारनाशी के लिए प्रयोग ना किया हुआ हो। अगर कहीं तना गलन की समस्या हो तो 0.1 प्रतिशत कार्बांजिम का छिड़काव करें।
कृषि एवं कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. राजेश सिहाग ने कहा कि पिछले कई दिनों से अच्छी धूप न निकलने के कारण यह बीमारी अधिक देखने को मिल सकती है। अगर किसान समय पर उपचार करेंगे तो इस पर अंकुश लगाया जा सकता है। किसान अपनी फसलों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहे।