अनंतनाग में शहीद हुए पानीपत के मेजर आशीष धौंचक अपने बर्थडे पर घर आकर परिवार को सरप्राइज देना चाहते थे
HARYANATV24: कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों और जवानों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त होने वालों में हरियाणा का लाल भी शामिल है। पानीपत के रहने वाले मेजर आशीष धौनेक बलिदान हो गए। आतंकियों से लोहा लेते बलिदान देने वाले आशीष धौंचक को गृह प्रवेश कार्यक्रम में 23 अक्टूबर को घर आना था। उसी दिन उनका जन्म दिन था।
तीन साल की मासूम बेटी के सिर से उठा पिता का साया
उनका नया मकान टीडीआई में बन रहा है। इसी मकान के गृह प्रवेश के लिए उन्होंने छुट्टी लेकर आना था। मेजर आशीष की तीन साल की एक मासूम बेटी है। पत्नी का नाम ज्योति और तीन साल की बेटी का नाम वामिका है।
तीन बहनों के इकलौते भाई थे मेजर आशीष
आशीष धौंचक तीन बहनों के इकलौते भाई के शहीद होने पर परिवार और गांव में मातम पसरा हुआ है। 23 अक्टूबर 1987 को जन्मे आशीष धौंचक वर्ष-2012 में सिखलाई रेजीमेंट सेना में भर्ती हुए थे। उनकी तैनाती राजौरी, मेरठ और भठिंडा में रही। करीब ढाई साल पहले मेरठ से कश्मीर में उनकी तैनाती हुई है।
शहर के लोग भी सूचना मिलने पर उनके घर पहुंच रहे हैं। बताया गया है कि आशीष धौंचक जिंदादिल और हंसमुख स्वभाव के थे। उनके मित्र उनका बड़ा सम्मान करते थे। पूरे शहर में मायूसी का आलम है।
कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों और जवानों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त होने वालों में हरियाणा का लाल भी शामिल है। पानीपत के रहने वाले मेजर आशीष धौनेक बलिदान हो गए। आतंकियों से लोहा लेते बलिदान देने वाले आशीष धौंचक को गृह प्रवेश कार्यक्रम में 23 अक्टूबर को घर आना था। उसी दिन उनका जन्म दिन था।
तीन साल की मासूम बेटी के सिर से उठा पिता का साया
उनका नया मकान टीडीआई में बन रहा है। इसी मकान के गृह प्रवेश के लिए उन्होंने छुट्टी लेकर आना था। मेजर आशीष की तीन साल की एक मासूम बेटी है। पत्नी का नाम ज्योति और तीन साल की बेटी का नाम वामिका है।
तीन बहनों के इकलौते भाई थे मेजर आशीष
आशीष धौंचक तीन बहनों के इकलौते भाई के शहीद होने पर परिवार और गांव में मातम पसरा हुआ है। 23 अक्टूबर 1987 को जन्मे आशीष धौंचक वर्ष-2012 में सिखलाई रेजीमेंट सेना में भर्ती हुए थे। उनकी तैनाती राजौरी, मेरठ और भठिंडा में रही। करीब ढाई साल पहले मेरठ से कश्मीर में उनकी तैनाती हुई है।
शहर के लोग भी सूचना मिलने पर उनके घर पहुंच रहे हैं। बताया गया है कि आशीष धौंचक जिंदादिल और हंसमुख स्वभाव के थे। उनके मित्र उनका बड़ा सम्मान करते थे। पूरे शहर में मायूसी का आलम है।