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Himachal: प्रदेश की नौ नदियों-खड्डों का पानी दूषित, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में खुलासा

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प्रदेश की नौ नदियों-खड्डों का पानी दूषित

HARYANATV24: सूबे की नदियों और खड्डों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस साल की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 37 नदियों पर 136 स्थानों पर नदियों की जल गुणवत्ता की जांच की गई। इनमें से नौ नदियों-खड्डों में 19 स्थानों पर बीओडी के संबंध में पानी के सैंपल फेल हुए हैं।

अश्विनी खड्ड, बद्दी की बाल्द, सिरमौर की गिरि, रामपुर की मारकंडा, रोहड़ू की पब्बर, नालागढ़ की रत्ता, रोहड़ू की शिकारी खड्ड, नालागढ़ की सरसा और परवाणू की सुखना खड्ड में प्रदूषण का स्तर तय मापदंडों से ऊपर है।

शिमला में बहने वाली अश्विनी खड्ड प्रदेश की सबसे प्रदूषित नदी है। औद्योगिक अपशिष्टों के अनियमित निपटान, बिना ट्रीटमेंट सीवेज और कृषि गतिविधियों से निकलने वाले अपवाह के कारण नदियां प्रदूषित हो गई हैं। जल प्रदूषण न केवल जलीय जीवन को खतरे में डालता है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए पीने के पानी के प्राथमिक स्रोत के लिए भी खतरनाक है।

हिमाचल में नदी जल प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव बहुआयामी हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और जैव विविधता को प्रभावित कर रहे हैं। इससे जलजनित बीमारियां होती हैं और निवासियों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

इन नदियों पर निर्भर किसानों को दूषित सिंचाई जल के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विभिन्न मछली प्रजातियों सहित नाजुक जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होता है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बाधित हो रहा है।

संकट से निपटने के लिए सख्ती से लागू करने होंगे उपाय
इस संकट को कम करने के लिए मजबूत जल प्रबंधन नीतियों, प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करने और टिकाऊ प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है।

प्रदेश में प्रदूषित नदियों पर चिंतन के लिए प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण विभाग और जिला प्रशासन की एक टीम गठित की है। लेकिन प्रदेश में बढ़े जल प्रदूषण के आंकड़े चिंताजनक हैं।

अश्विनी खड्ड देश की सबसे दूषित नदियों की श्रेणी में
शिमला की अश्विनी खड्ड प्रदेश में सबसे अधिक प्रदूषित है। अश्विनी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाला अपशिष्ट प्रदूषण का मुख्य कारण है। 2022 में अश्विनी में बीओडी 70 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर पर था, जो बढ़कर 80 मिलीग्राम प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अश्विनी खड्ड को देश को सबसे दूषित नदियों की श्रेणी में डाला है।

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