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टमाटर के बाद अब प्याजके दाम भी उंची छलांग लगाने को तैयार, जानिए क्या है वजह

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टमाटर और बाकी सब्जियों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि अगले महीने प्याज के दाम भी बढ़ जाएंगे। क्रिसिल के एक शोध रिपोर्ट के अनुसार सितंबर महीने की शुरुआत में आपूर्ति में संभावित कमी के कारण खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें बढ़ सकती है। इनकी कीमत 0-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। वहीं, अक्टूबर में इनकी कीमतों में नरमी आ सकती है।

क्रिसिल की रिपोर्ट

क्रिसिल ने अपने शोध रिपोर्ट में कहा कि अगस्त महीने के अंत तक खुले बाजार में रबी स्टॉक में काफी गिरावट आने की उम्मीद है। इस से मंदी का मौसम 15-20 दिनों तक बढ़ जाएगा। ऐसे में बाजार में आपूर्ति में कमी की वजह से सामानों की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। असामान्य मौसम ने पारंपरिक आपूर्ति कार्यक्रम को बाधित कर दिया है।

देश में अभी प्याज की कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है। क्रिस्टिल रिपोर्ट के अनुसार उच्च तापमान की वजह से महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश, और राजस्थान में रबी की फसल जल्दी पक गई। वहीं, मार्च में इन राज्यों में बेमौसम बारिश ने प्याज की गुणवत्ता को प्रभावित कर दिया है। इस वजह से प्याज की सेल्फ लाइफ छह महीने से घटकर 4-5 महीने हो गई है। ऐसे में किसानों को भंडारण की चिंता बढ़ गई है जिससे बचने के लिए उन्होंने घबराहट में बिक्री शुरू कर दी है।

रबी की फसल के बाद खरीफ फसल आती है

रबी की फसल को मार्च के महीने में बाजार में लाया जाता है। अब बेमौसम बरसात की वजह से इसे जल्दी काटा गया और यह फरवरी के महीने में ही बाजार में उपलब्ध हो गई। खरीफ की फसल बाजार में प्रचुर मात्रा में था। रबी का स्टॉक सितंबर के अंत तक मांग को पूरा करने के लिए काफी होता है। इसके बाद खरीफ फसल बाजार में आती है।रबी फसल की कम शेल्फ लाइफ और फरवरी-मार्च में ज्यादा बिक्री की वजह से इस महीने के अंत में प्याज की कीमतों में असंतुलन दिखाई देने की उम्मीद है।

अक्टूबर में मिल जाएगी राहत

क्रिसिल की रिपोर्ट में अक्टूबर में खरीफ का स्टॉक बाजार में आ जाएगा। बाजार में प्याज की आपूर्ति में सुधार हो जाएगा। जिसके बाद इनकी कीमतों में नरमी आ जाएगी। आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति में सुधार होना चाहिए, जिससे कीमतें नरम होंगी। अगस्त महीने में भारी गिरावट की संभावना नहीं है। इस वर्ष प्याज का 29 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है। ये पिछले पांच वर्षों में ज्यादा है। 

 

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