ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया बैन का बिल पास:नियम टूटा तो सोशल प्लेटफॉर्म पर ₹275 करोड़ जुर्माना
ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन का बिल संसद से पारित हो गया।
पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस बिल का समर्थन किया। ऑस्ट्रेलिया ऐसा बिल पारित करने वाला दुनिया का पहला देश है।
बिल के मुताबिक, अगर एक्स, टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों को अकाउंट रखने से रोकने में नाकाम रहते हैं,
तो उन पर 275 करोड़ रुपए (32.5 मिलियन डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
। इसमें माता-पिता की सहमति या पहले से मौजूद खातों के लिए कोई छूट नहीं दी जाएगी। कानून बनने के बाद,
प्लेटफॉर्म के पास प्रतिबंध को लागू करने के तरीके पर काम करने के लिए एक साल का वक्त होगा।
प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने भी बिल का सपोर्ट किया। 25 नवंबर संसद में बोलते हुए एल्बनीज ने सोशल मीडिया को टेंशन बढ़ाने वाला,
ठगों और ऑनलाइन अपराधियों का हथियार बताया था। उन्होंने कहा- वह चाहते हैं कि आस्ट्रेलियाई युवा फोन छोड़कर फुटबॉल, क्रिकेट और टेनिस खेलें।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज 25 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया संसद में ऑनलाइन सुरक्षा संशोधन विधेयक पर बोलते हुए। ब्रिटिश सरकार भी बैन की तैयारी कर रही
ऑस्ट्रेलिया के नक्शे कदम पर चलते हुए, ब्रिटिश सरकार भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन पर विचार कर रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार , ब्रिटेन के टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल का कहना है कि वह ऑनलाइन सुरक्षा तय करने के लिए "जो भी करना होगा, करेंगे"। खासतौर पर बच्चों के लिए।
पीटर काइल ने यह भी कहा कि युवाओं पर स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के प्रभावों को लेकर और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। अभी इसे लेकर अभी तक हमारे पर कोई ठोस सबूत नहीं है।
सोशल मीडिया से डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे खतरे
भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में सोशल मीडिया के जरिए डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे कई मामले सामने आते रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एडवायजरी जारी की थी। इसमें उनसे डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फैलने वाली गलत इन्फॉर्मेशन को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों का पालन करने को कहा गया था।
एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद
रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। इसमें से अधिकतर टाइम वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। जबकि, अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है। सोशल मीडिया ऐप्स भी इंडियन यूजर्स ही सबसे ज्यादा यूज करते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में एक इंसान के औसतन 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं, जबकि एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है।
ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन का बिल संसद से पारित हो गया। पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस बिल का समर्थन किया। ऑस्ट्रेलिया ऐसा बिल पारित करने वाला दुनिया का पहला देश है।
बिल के मुताबिक, अगर एक्स, टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों को अकाउंट रखने से रोकने में नाकाम रहते हैं, तो उन पर 275 करोड़ रुपए (32.5 मिलियन डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसमें माता-पिता की सहमति या पहले से मौजूद खातों के लिए कोई छूट नहीं दी जाएगी। कानून बनने के बाद, प्लेटफॉर्म के पास प्रतिबंध को लागू करने के तरीके पर काम करने के लिए एक साल का वक्त होगा।
प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने भी बिल का सपोर्ट किया। 25 नवंबर संसद में बोलते हुए एल्बनीज ने सोशल मीडिया को टेंशन बढ़ाने वाला, ठगों और ऑनलाइन अपराधियों का हथियार बताया था। उन्होंने कहा- वह चाहते हैं कि आस्ट्रेलियाई युवा फोन छोड़कर फुटबॉल, क्रिकेट और टेनिस खेलें।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज 25 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया संसद में ऑनलाइन सुरक्षा संशोधन विधेयक पर बोलते हुए।
ब्रिटिश सरकार भी बैन की तैयारी कर रही ऑस्ट्रेलिया के नक्शे कदम पर चलते हुए, ब्रिटिश सरकार भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन पर विचार कर रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार , ब्रिटेन के टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल का कहना है कि वह ऑनलाइन सुरक्षा तय करने के लिए "जो भी करना होगा, करेंगे"। खासतौर पर बच्चों के लिए।
पीटर काइल ने यह भी कहा कि युवाओं पर स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के प्रभावों को लेकर और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। अभी इसे लेकर अभी तक हमारे पर कोई ठोस सबूत नहीं है।
सोशल मीडिया से डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे खतरे :भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में सोशल मीडिया के जरिए डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे कई मामले सामने आते रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एडवायजरी जारी की थी। इसमें उनसे डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फैलने वाली गलत इन्फॉर्मेशन को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों का पालन करने को कहा गया था।
एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद: रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। इसमें से अधिकतर टाइम वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। जबकि, अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है। सोशल मीडिया ऐप्स भी इंडियन यूजर्स ही सबसे ज्यादा यूज करते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में एक इंसान के औसतन 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं, जबकि एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है।