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पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत पर सुनवाई टली,

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पूजा खेडकर IAS

पूर्व ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर आज सुनवाई नहीं हुई है।

जस्टिस सुब्रमण्यम की बेंच ने मामले को 12 अगस्त तक टाल दिया है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 अगस्त को उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था।

इसके बाद पूजा ने 8 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका लगाई थी। 2023 बैच की ट्रेनी IAS अफसर रहीं पूजा के खिलाफ UPSC ने पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के मामले में FIR दर्ज कराई थी।

दूसरी तरफ, पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर के खिलाफ पुणे के बंद गार्डन पुलिस स्टेशन में एक और केस दर्ज हुआ है।

उन पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप है। दिलीप खेडकर जमीन विवाद में किसानों को पिस्टल से धमकाने के मामले में भी आरोपी हैं।

इस केस में उन्हें अग्रिम जमानत मिली है। पूजा खेडकर पर क्या हैं आरोप?
पूजा 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं। उन्हें CSE-2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे जून 2024 से ट्रेनिंग कर रही थीं।

उन पर आरोप है कि उन्होंने रिजर्वेशन का फायदा उठाने के लिए UPSC CSE-2022 परीक्षा में खुद से जुड़ी गलत जानकारी दी थी।

UPSC ने अपनी जांच में पूजा को दोषी पाया। इसके बाद 31 जुलाई को पूजा का सिलेक्शन रद्द किया गया।

पूजा पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था।

सिलेक्शन रद्द होने के बाद पूजा का पद छिन गया। उन पर भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम देने पर रोक है।

लोअर कोर्ट ने कहा- बिना मदद के साजिश को अंजाम देना संभव नहीं
पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 अगस्त की पूजा की याचिका पर सुनवाई में कहा था कि यह मामला तो केवल एक छोटा सा हिस्सा है।

पूरी साजिश का पता लगाने और इसमें शामिल लोगों की संलिप्तता की जांच करने के लिए आरोपी से हिरासत में पूछताछ होनी जरूरी है।

सेशन जज देवेंद्र कुमार जंगाला ने दिल्ली पुलिस को निष्पक्ष जांच के आदेश दिए, ताकि पता चले कि हाल के दिनों में किन उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी, जिन्होंने अवैध रूप से ऐसे लाभ उठाए होंगे।

यह भी पता लगाएं कि क्या UPSC के किसी अंदरूनी व्यक्ति ने भी खेडकर की मदद की थी।

हालांकि, पूजा ने अपने बचाव में कहा था कि उन्हें फंसाया गया है। वे मीडिया ट्रायल तथा विच-हंट का शिकार हुई हैं।

कोर्ट ने पूजा की दलील पर यह तर्क टिकने योग्य नहीं है क्योंकि रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। पूरी तैयारी के साथ साजिश की गई।

कई साल में इसे अंजाम दिया। यह अकेले, किसी बाहरी या अंदरूनी व्यक्ति की मदद के बिना संभव नहीं था।

आयोग पूजा की धोखाधड़ी पहचानने में कहां चूका
खेडकर के केस के चलते UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की।

इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे। पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का मामला एकमात्र था।

उन्होंने कई बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी, इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी।

UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों।

पूजा लाल बत्ती लगी ऑडी कार में ऑफिस पहुंची थी, सीनियर अफसर को धमकाया था
पूजा पुणे में ट्रेनी अफसर की ट्रेनिंग ले रही थीं। इस दौरान उन पर सुविधाएं मांगने का आरोप लगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने की शिकायत भी सामने आई। वे अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की प्लेट लगवाई।

पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था।

इसके बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने यूपीएससी में सिलेक्शन पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया था।

इसके बाद उनके खिलाफ जांच शुरू हुई तो कई खुलासे हुए।

विकलांगता सर्टिफिकेट से जुड़े विवाद

1.विकलांगता सर्टिफिकेट में पूजा खेडकर का एड्रेस ‘प्लॉट नंबर 53, देहू अलंदी रोड, तलावडे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे’ लिखा गया था।

       जबकि इस एड्रेस पर कोई घर नहीं, बल्कि थर्मोवर्टा इंजीनियरिंग कंपनी नाम की एक फैक्ट्री है। पूजा की जिस ऑडी को जब्त किया गया था, वह इसी कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

2.सरकारी नियमों के तहत विकलांगता सर्टिफिकेट बनाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, लेकिन पूजा के सर्टिफिकेट में राशन कार्ड लगाया गया था।

3.विकलांग कोटे से UPSC में सिलेक्शन होने के बाद से पूजा के कई विकलांगता सर्टिफिकेट सामने आ चुके हैं। पूजा खेडकर ने 2018 और 2021 में अहमदनगर डिस्ट्रिक्ट सिविल हॉस्पिटल की ओर से जारी 2 विकलांग सर्टिफिकेट UPSC को सौंपे थे।

4.पूजा ने अपनी विकलांगता सर्टिफिकेट की पुष्टि के लिए दिल्ली में मेडिकल जांच के लिए कई बार अपॉइंटमेंट लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बनी रिपोर्ट को UPSC में जमा कर दिया।

5.यशवंत राव चह्वाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल ने साफ कर दिया है कि पूजा खेडकर का लोकोमीटर सर्टिफिकेट बनाने में कोई गलती नहीं हुई। सर्टिफिकेट में पूजा को 7% लोकोमीटर डिसेबिलिटी बताई गई थी। अस्पताल को पिंपरी चिंचवाड नगर निगम संचालित करता है।

6.पूजा ने UPSC को दिए एक हलफनामे में दावा किया था कि वह मानसिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें देखने में भी दिक्कत होती है। पूजा ने मेडिकल टेस्ट देने से 6 बार मना किया था, जबकि मेडिकल टेस्ट देना जरूरी होता है।

7.कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा का पहला मेडिकल टेस्ट दिल्ली AIIMS में अप्रैल 2022 में शेड्यूल हुआ था। उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का हवाला देकर इसमें शामिल होने से मना कर दिया था।

पूजा पर OBC नॉन-क्रीमीलेयर कोटे का फायदा उठाने का भी आरोप
पूजा पर माता-पिता के मैरिटल स्टेटस की जानकारी छिपाकर OBC नॉन-क्रीमीलेयर कोटे का फायदा उठाने का भी आरोप लगा है।

पूजा के पिता दिलीप खेडकर रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं। उन्होंने चुनाव भी लड़ा था। एफिडेविट में उन्होंने अपनी संपत्ति 40 करोड़ रुपए बताई थी। पूजा ने परिवार की संपत्ति 8 लाख से कम बताई थी।

पूजा का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने माता-पिता के तलाक का दावा किया है। उनके पिता अब उनके साथ नहीं रहते, इसलिए वे अब OBC नॉन-क्रीमी लेयर के दायरे में आती हैं। पुणे पुलिस के मुताबिक, UPSC ने पूजा के माता-पिता की मैरिटल स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

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