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Sunny Deol ने राजनीति से किया किनारा, बोले- अब कभी नहीं लड़ूंगा चुनाव

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सनी ने की राजनीति से तौबा

HARYANATV24: फिल्म 'गदर-2'  की रिकॉर्डतोड़ सफलता से खुश हुए गुरदासपुर से सांसद सनी देओल ने अपने राजनीतिक जीवन को लेकर एक अहम खुलासा किया है। सनी देओल ने एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में स्पष्ट किया है कि वह गुरदासपुर से दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे। सिर्फ गुरदासपुर से ही नहीं, बल्कि किसी भी हलके से कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके इस बयान से साफ है कि उन्होंने अब राजनीति से हमेशा के लिए किनारा कर लिया है। सनी देओल ने ये भी कहा कि वह राजनीति के लिए नहीं बने हैं, और अपनी एक्टिंग के माध्यम से वह देश की सेवा करते रहेंगे।

2019 में BJP में शामिल हुए थे सनी देओल

गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में सनी देओल भाजपा में शामिल हो गए थे। गुरदासपुर सीट से भाजपा ने सनी देओल को पंजाब कांग्रेस के उस समय के प्रधान सुनील जाखड़ के सामने उतारा था। सनी देओल करीब 82 हजार वोट से विजय रहे थे। सनी देओल ने उस समय गुरदासपुर की जनता के लिए कई बड़े-बड़े वादे किए थे।

सनी देओल ने किए थे बड़े-बड़े वादे

उन्होंने 2019 में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि हलके के नौजवानों को नौकरियां दिलाना उनका पहला काम होगा। हलके में विकास के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे। पत्रकारों को हैरानी तब हुई जब एक सवाल पूछने पर सनी देओल ने बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में अपनी अज्ञानता जाहिर की थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने बहुचर्चित फिल्मी डायलॉग 'ढाई किलो का हाथ' व 'तारीख पे तारीख' बोल कर वोटरों को प्रभावित किया था। हर चुनाव रैली में गदर फिल्म का प्रतीक नलका स्टेज पर नजर आता था।

जीत के बाद मिलती रही तारीख पे तारीख

जीत के बाद गुरदासपुर हलके में अपना स्थाई घर बनाने व अधिकतर समय यहां बिताने का वादा करने वाले इस फिल्मी हीरो की झलक देखने को गुरदासपुर वासी तरस गए। जनता उन्हें देखने के लिए हमेशा बेताब रही लेकिन 'तारा सिंह' हमेशा तारीख पे तारीख देते रहे। उन्होंने पठानकोट में एक कोठी ले ली और पीए का कार्यालय खोल दिया। लेकिन खुद ईद का चांद हो गए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सनी दिओल अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में सिर्फ चार बार ही हलके में आए।

देश की संसद में नहीं गरजे 'तारा सिंह'

फिल्म पर्दे पर अपनी दमदार आवाज, डायलॉग के साथ तालियां बटोरने वाला यह अदाकार सीमा पार पाकिस्तान की धरती पर तो बेखोफ गरजता दिखाई देता है। लेकिन देश की अपनी ही संसद में इसकी गरज सुनाई नहीं दी। देश की कई समस्याओं और मुद्दों पर हुई बहस में सन्नी देओल की आवाज खामौश रही। संसद में उनकी हाजरी केवल 19 फीसदी रही।

 

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