क्या है ‘एक देश एक चुनाव’ जिसे लेकर केंद्र ने बनाई कमेटी, कांग्रेस का सवाल- अचानक इसकी जरूरत क्यों पड़ी
केंद्र सरकार ने 'एक देश-एक चुनाव' पर कमेटी बना दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संभव है कि एक देश एक चुनाव पर सरकार बिल भी ला सकती है।
केंद्र की बनाई कमेटी एक देश एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर गौर करेगी। साथ ही इसके लिए आम लोगों से भी राय लेगी।
सरकार की इस पहल पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिर एक देश एक चुनाव की सरकार को अचानक जरूरत क्यों पड़ गई।
विपक्ष बोला- सरकार को पहले भरोसे में लेना चाहिए था
क्या है वन नेशन-वन इलेक्शन
वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में मोदी
मई 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तो समय बाद ही एक देश और एक चुनाव को लेकर बहस शुरू हो गई। मोदी प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया कुछ पोस्ट के जरिए बताया- 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र रहेगा।
5 दिन का सत्र और 5 संभावनाएं
- महिलाओं के लिए संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देना।
- नए संसद भवन में शिफ्टिंग।
- यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश हो सकता है।
- लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने का बिल आ सकता है।
- आरक्षण पर प्रावधान संभव।