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अरंडी का तेल SE बवासीर और गठिया में भी दिलाए राहत इसका इतिहास बहुत जहरीला

अरंडी के बीजों से तैयार तेल में औषधीय गुण होते हैं।
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अरंडी से बनता तेल-साबुन, ईंधन, पेंट और दवाएं

अरंडी का पौधा हर जगह उग आता है। बच्चे इसके बीजों से तरह-तरह के खेल खेलते हैं। इसका तेल कई बीमारियों में फायदेमंद है। लेकिन, इसके पौधे को 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' ने दुनिया के सबसे जहरीले कॉमन प्लांट का दर्जा दिया है। इसे जहरीला बनाता है इसमें मौजूद राइसिन नाम का केमिकल। इसके कुछ बीज किसी को भी मौत की नींद सुला सकते हैं।

1940 के दशक में अमेरिकी सेना ने युद्ध में राइसिन के इस्तेमाल के लिए एक्सपेरिमेंट किए। माना जाता है कि 1980 में इराक वॉर में इस जहर का इस्तेमाल किया गया। आतंकवादी संगठन भी राइसिन की मदद से हत्याओं को अंजाम देते रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपतियों बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप को मारने के लिए कई बार जहरीली चिट्ठियां भेजी गईं, जिनमें राइसिन पाउडर लगा था। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यह पौधा और उसमें मौजूद जहर कितना खतरनाक है।

इस जहर का कोई इलाज नहीं, 36 घंटे में जाती जान
राइसिन के संपर्क में आने के 4 से 8 घंटे के भीतर जहर का असर दिखने लगता है, धीरे-धीरे अंग काम करना बंद कर देते हैं और 36 से 72 घंटे के अंदर जान चली जाती है। दुनिया में इस जहर का कोई तोड़ नहीं है, इसलिए इससे बचने का एक ही तरीका है- इससे दूर रहना।

लेकिन, इतना ज्यादा जहरीला होने के बावजूद न सिर्फ अरंडी की खेती की जाती है, बल्कि इससे दवाएं तक बनाई जाती हैं। दरअसल, अरंडी में जहर की सबसे ज्यादा मात्रा इसके बीजों में होती है। अगर इन बीजों को सीधे निगल लिया जाए तो आमतौर पर यह बिना पचे निकल जाता है और ज्यादा नुकसान नहीं होता, लेकिन अगर इसे कोई चबा ले या फिर पेट में ये बीज टूट जाएं, तो हालात जानलेवा हो सकते हैं।

प्राचीन इजिप्ट में अरंडी के के बीज का गर्भनिरोधक की तरह इस्तेमाल
कैंसर की कोशिकाओं को मारने वाली दवाएं बनाने में भी 'राइसिन' के इस्तेमाल को कारगर माना जा रहा है। इसके बीजों से तेल निकालने के लिए खास तरीके का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे जहर तेल में नहीं आने पाता।

प्राचीन इजिप्ट में इस तेल का इस्तेमाल लैंप जलाने में किया जाता था। इजिप्ट और नाइजीरिया में महिलाएं अरंडी के बीज को गर्भनिरोधक के तौर पर यूज करती रही हैं। संबंध बनाने के बाद वे इन बीजों को इमरजेंसी पिल्स की तरह खा लेती हैं। लेकिन, बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसा करना जानलेवा हो सकता है।

अरंडी से बनता तेल-साबुन, ईंधन, पेंट और दवाएं
अरंडी को अरंड, एरंडी और रेड़ी भी कहते हैं। संस्कृत में इसे एरंड और चित्रबीज जैसे नाम दिए गए हैं, जबकि अंग्रेजी में इसे कैस्टर कहते हैं। अब तो कई देशों में इसके तेल का इस्तेमाल फ्यूल के तौर पर किया जा रहा है। अरंडी से डाई, डिटर्जेंट, पॉलिश, पेंट, लुब्रिकेंट से लेकर पॉलिश तक 250 से ज्यादा तरह की चीजें बनाई जाती हैं। आयुर्वेद में अरंडी यानी कैस्टर के पत्ते, बीज, फूल और जड़ हर हिस्से का इस्तेमाल दवाओं के तौर पर होता है।

पेट के रोगों, महिलाओं को होने वाली बीमारियों समेत कई समस्याओं में अरंडी बहुत फायदेमंद है। इंदौर में न्यूट्रीशनिस्ट निधि अग्रवाल बताती हैं कि खासकर प्रेग्नेंट को कैस्टर ऑयल के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए। दूसरी दवाओं के साथ यूज करने पर एलर्जी हो सकती है। इसे सीधे नहीं पीना चाहिए।

महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए फायदेमंद अरंडी
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट में गांठ बन जाने पर अरंडी के पत्ते और तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके पत्ते को उबालकर उसका गुनगुना पानी ब्रेस्ट पर डालें, उबले पत्तों को ब्रेस्ट पर बांधें और कैस्टर ऑयल से मसाज करने पर गांठें खत्म हो जाती हैं और दूध उतरने लगता है।

इसके तेल का सेवन करने से लेबर पेन में राहत मिलती है और डिलीवरी जल्दी होती है। प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन और दर्द में भी इस तेल के इस्तेमाल से राहत मिलती है। इसके गर्म पत्ते पेट पर बांधने पर पीरियड्स का पेन कम होता है।

इसी तरह, 'प्रीमैच्योर इजैक्युलेशन' की समस्या से परेशान पुरुषों को भी कैस्टर ऑयल से मसाज करने पर फायदा मिलता है। इसके नियमित इस्तेमाल से स्पर्म क्वॉलिटी और फर्टिलिटी सुधरती है।

पेट के रोगों, बवासीर और गठिया में दिलाए राहत
पेट से जुड़े रोगों में कैस्टर ऑयल संजीवनी बूटी की तरह काम करती है। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पेट दर्द, कब्ज, एपेन्डिसाइटिस जैसी परेशानियों में यह तेल बहुत लाभदायक है। इसके पेड़ की जड़ का काढ़ा पीने से पेट की चर्बी घटती है। अरंडी के पत्तों का रस पेट के कीड़ों (चुन्ने) से निजात दिलाता है।

बवासीर के मरीजों को अरंडी का तेल दिया जाता है, जिससे बिना तकलीफ के उनका पेट साफ हो जाता है। पेट दर्द और गैस की समस्या में अरंडी के तेल की मालिश राहत पहुंचाती है। यह तेल शरीर में सूजन को दूर करता है। इसके बीजों में मौजूद पोषक तत्व और कई तरह के एसिड गठिया के दर्द से छुटकारा दिलाते हैं। एड़ी के दर्द हो तो कैस्टर ऑयल यूज कर सकते हैं।

आंख, त्वचा और बालों के लिए भी कैस्टर ऑयल फायदेमंद
कैस्टर ऑयल का काजल लगाना आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। डार्क सर्कल से छुटकारा पाने के लिए रात में सोने से पहले नारियल तेल में कैस्टर ऑयल मिलाकर आंखों के नीचे मिलाएं, कुछ ही दिनों में आपको फर्क दिखने लगेगा। नारियल तेल और कैस्टर ऑयल को बालों की जड़ों में लगाने पर बाल मजबूत हो जाते हैं।

कैस्टर ऑयल के साइड इफेक्ट
अरंडी के बीज खाने से एलर्जी, बेहोशी, भ्रम जैसी परेशानियां हो सकती हैं। जरूरत से ज्यादा कैस्टर ऑयल यूज करने से दस्त, उल्टी, पेट में मरोड़ हो सकती है। गर्भावस्था में इसके इस्तेमाल से गर्भपात का खतरा बढ़ता है। इसलिए अरंडी के बीज या कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर या वैद्य की सलाह पर ही करें।

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