दिवाली पर सुंदर रंगोली से सजाएं अपना आंगन, नकारात्मकता होगी दूर
HARYANATV24: दिवाली पर मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के दरवाजे पर अलग-अलग रंगों से रंगोली बनाई जाती है। दिवाली पर अगर बाजार से बनी-बनाई रंगोली दरवाजे पर लगा रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि इसमें भगवान गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता। फर्श पर रंगोली बनाते समय स्वास्तिक और ओम नहीं बनाने चाहिए।
बिंदु और रेखा का संगम: महाराष्ट्र में चावल के आटे से रंगोली बनाने का प्रचलन है। यहां बिंदुओं और रेखाओं को मिलाकर रंगोली बनाने का प्रचलन है। कई बार रंगोली में रंग नहीं भरे जाते। केवल रेखाओं से सिंपल डिजाइन ही बना दी जाती है।
पेड़ और पत्तियों का मिलन: दक्षिण भारत और बंगाल में रंगोली बनाने के लिए पेड़ के पत्तों और फूलों की पंखुडिय़ों का प्रयोग किया जाता है। बंगाल में बनाई जाने वाली रंगोली में चित्रों के बनाए जाने पर ज्यादा फोकस किया जाता है।
सुंदर व कलात्मक: गुजरात के गांवों में नील, गेरू, खड़िया, चाक, गीली मिट्टी को मांडने का प्रचलन है। इससे रंगोली बनाने के लिए खड़िया, चाक, नील, गेरू आदि को पहले पानी में मिलाया जाता है। फिर एक डंडी की छड़ के कोने पर रूई लगाकर उसे नील, खड़िया में डुबोया जाता है और घर की कच्ची या पक्की जमीन पर ‘मांडने’ बनाए जाते हैं।
जीवंत रंगोली: इसके अलावा रंगोली बनाने के लिए कई रंगों का प्रयोग भी किया जाता है जिनमें पीला रंग प्रगति का प्रतीक होता है। हरा रंग हरियाली का, गुलाबी रंग खुशियों का, लाल रंग और सिंदूर प्रेम व सुहाग का प्रतीक है तो सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है।
इन सभी रंगों को रंगोली के अलग-अलग खानों में डिजाइन बनाकर भरा जाता है। फिर किनारों पर दीये व मोमबत्तियां भी रखी जाती हैं। फूलों से भी कई तरह के डिजाइन बनाए जाते हैं जो ताजगी के प्रतीक होते हैं।