जीवन में जो समय की कीमत समझता है, वही इतिहास रचता है

HARYANATV24: एक बार कुछ लोग महात्मा गांधी जी के पास आए और कहने लगे ‘‘बापू हमने कल एक सभा का आयोजन किया है। अगर आप समय निकाल कर आएं तो बड़ी कृपा होगी। गांधी जी ने अगले दिन के लिए निर्धारित अपने कार्यक्रमों को देखा और पूछा यह कार्यक्रम कितने बजे प्रस्तावित है।
एक कार्यकर्ता बोला- हमने 4 बजे निश्चित किया है। गांधी जी के कार्यक्रमों में अगले दिन उस समय कोई व्यस्तता नहीं थी। अत: उन्होंने कार्यक्रम में आने की हामी भर दी। कार्यकर्त्ता बोला- बापू कल मैं एक घंटा पूर्व गाड़ी भेज दूंगा ताकि आपको तकलीफ न हो।
गांधी जी बोले- ठीक है मैं निश्चित समय पर तैयार रहूंगा। अगले दिन जब पौने चार बजे तक उन्हें लेने कोई नहीं पहुंचा तो गांधी जी चिंतित हो गए और सोचने लगे यदि वह समय पर नहीं पहुंचे तो लोग क्या कहेंगे ? उनका समय व्यर्थ में नष्ट होगा। गांधी जी ने एक उपाय सोचा और उस पर अमल किया।
कुछ समय पश्चात वह कार्यकर्ता गाड़ी लेकर गांधी जी को लेने के लिए आश्रम पहुंचा तो गांधी जी को वहां नहीं पाया। वह वापस लौट आया और जब वह सभास्थल पर पहुंचा तो देखा कि गांधी जी भाषण दे रहे थे और सभी लोग उन्हें तन्मयता से सुन रहे थे।
भाषण के उपरांत वह गांधी जी से मिला और कहा, ‘‘मैं आपको लेने आश्रम गया था परंतु आप वहां नहीं मिले फिर आप यहां तक कैसे पहुंचे ?’’
गांधी जी ने कहा ‘‘जब आप पौने चार बजे तक नहीं पहुंचे तो मुझे चिंता हुई कि मेरे कारण इतने लोगों का समय नष्ट हो सकता है इसलिए मैंने साइकिल उठाई और तेजी से चलाते हुए यहां पहुंच गया। यह सुनकर कार्यकर्ता बहुत शर्मिंदा हुआ। गांधी जी ने कहा- समय धन है इसे व्यर्थ मत गंवाओ।