चंदन की खेती है मुनाफे का सौदा, सिर्फ 50 पेड़ 15 साल में बना देंगे करोड़पति!
HARYANATV24: चंदन सदियों से भारतीय संस्कृति से जुड़कर पूजा और तिलक लगाने के काम तो आता ही है, साथ ही सफेद व लाल चंदन के रूप में इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्ति, साज-सज्जा की चीजों, हवन करने और अगरबत्ती बनाने के साथ-साथ परफ्यूम और अरोमा थेरेपी आदि के लिए होता है। इसके साथ-साथ इसके तेल से कई त्वचा व अन्य कई रोगों की दवाएं भी तैयार होती हैं।
दक्षिण भारत में ये अधिक पाया जाता है, क्योंकि उत्तर भारत में वर्ष 2001 से पहले चंदन की खेती पर प्रतिबंध था। 2001 के बाद केंद्र सरकार ने प्रतिबंध हटा लिया। इसके बाद से किसानों का रुझान चंदन की खेती की ओर बढ़ा है।
चंदन के पेड़ करीब 12 से 15 साल में तैयार होते हैं। शोध में ये प्रयास भी किया जाएगा, इसके तैयार होने की अवधि को कम किया जा सके। अभी संस्थान में एक एकड़ भूमि में इसके पौधों पर शोध शुरू किया गया है।
बड़े मुनाफे की खेती
वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन का पेड़ जितना पुराना होगा, उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाएगी। 15 साल के बाद एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार से दो लाख रुपये तक हो जाती है। ये बेहद लाभकारी खेती है, अगर कोई व्यक्ति 50 पेड़ ही लगाता है तो 15 साल बाद वह एक करोड़ रुपये के हो जाएंगे।
परजीवी पौधा है चंदन
चंदन परजीवी पौधा है, यानी वह खुद अपनी खुराक नहीं लेता है बल्कि दूसरे पेड़ की जड़ से अपनी खुराक लेता है, जहां चंदन का पौधा होता है, वहां पड़ोस में कोई दूसरा पौधा लगाना होता है, क्योंकि चंदन अपनी जड़ों को पड़ोसी पौधे के जड़ों की ओर बढ़ाकर उसकी जड़ों को अपने से जोड़ लेता है और उसकी खुराक में से ही अपनी खुराक लेने लगता है।
चंदन के पौधे पर संस्थान में प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, जिस पर शोध व तकनीक पर कार्य चल रहा है। इसके तहत किसानों को खास तकनीक से चंदन की खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। किसानों को चंदन की खेती की ओर बढ़ना चाहिए, इसे मेड़ पर लगाएं, जलभराव नहीं होना चाहिए। डॉ.राज कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी), सीएसएसआरआई, करनाल।